top of page

मिथुन लग्न के गुण और अवगुण

तस्मै श्री गुरुवे नमः

मिथुन लग्न की विशेषता

मिथुन राशि का अर्थ है जोड़ा।इस राशि के तारों को मिलाकर यदि काल्पनिक रेखाएँ खींची जाएं तो स्त्री और पुरुष की आकृति का निर्माण होता है।अतः इसका नाम जोड़ा रखा गया। इस राशि का विस्तार 60°-90° होता है।

  • यह मृगशिरा के 2 चरण,आर्द्रा के 4 चरण और पुनर्वसु के 3 चरण से मिलकर बनती है।

  • मृगशिरा का दशा स्वामी मंगल ,आर्द्रा का दशा स्वामी राहु , पुनर्वसु का दशा स्वामी गुरु होता है।

  • इस राशि में सूर्य लगभग 15 जून से 16 जुलाई तक रहता है।इस राशि का स्वामी बुध है। इस राशि में कालपुरुष के अनुसार दोनों कंधे, गला, बाजू आते हैं।

मिथुन लग्न/राशि के लोगो का स्वभाव

यह जातक स्वभाव से विद्याव्यसनी होते हैं। लेखक,वाचक,तीव्रबुद्धि,कई भाषाओं के जानकार, बातचीत में मुहावरे,कहावत आदि का प्रयोग, कविताएं व शायरी करने वाले, बातों के धनी, गम्भीरता पूर्वक विचार करने वाले, तर्क में चतुर, दूसरों पर अपना प्रभाव छोड़ने वाले,परिवर्तन पसंद, संगीत ,नृत्य में आनंद लेने वाले,बिना रुके बिना थके कार्य करने वाले,अच्छे व्यापारी व अच्छे ज्योतिषी होते हैं।

लकीर के फ़क़ीर न होकर अपनी राह खुद चुनने वाले होते हैं। मित्र व संबंधियों की सहायता से भाग्योन्नति प्राप्त करते हैं।

मिथुन राशि की कमियाँ

मिथुन लग्न में जन्मे लोगो में आत्मविश्वाश की कमी के कारण चिंताग्रस्त रहने वाले, रोगपीडित, धनलोभी, स्वार्थी, निंदनीय, कुमित्र की भांति आचरण करने वाले, लड़ाकू, हिंसक, स्त्री सुख भोगी, प्रसन्नचित्त होते हुए भी चिंताग्रस्त, अपनी स्त्री के विरोधी, गुरूजनों के आज्ञापालक, ब्राह्मणों के सेवक, विरोधी प्रकृति वाले होते हैं। चुगलखोर, परदेस द्वारा धन अर्जित करने वाले, इनके धन का व्यय ज्ञानी पुरुषों के समागम तथा कुलटा स्त्रियों के संपर्क में अधिक होता है। इनमें सज्जनता और दुर्जनता दोनों का समन्वय मिलता है। इन्हें दांव पेंच भी खूब आते हैं। विरोधियों को षडयंत्रो से शांत करते हैं। खुलकर सामने नही आतें।

विपरीत लिंग के प्रति विशेष आकर्षण ,सौन्दर्य उपासक ,फैशन प्रिय होते हैं। इनका हृदय बुद्धि के पीछे चलता है।

यहाँ एक स्त्री और एक पुरुष है। जो बहुत प्रसन्न है। सबसे पहली बात इस लग्न के जातक जब भी कोई काम करते हैं तो 2 दिमाग से करते हैं अर्थात् एक स्वयं का और एक अन्य। इनमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण रहता है चाहे स्त्री हो या पुरुष । लव बर्ड्स की तरह होते हैं ।

मिथुन राशि के विशेष गुण

समयानुसार स्वयं को बदलना ,बात पलटना, रंग बदलना इनका विशेष गुण है।

मिथुन लग्न में संभावित रोग

फेफड़े व स्नायु के रोग की आशंका, स्नायुविक दुर्बलता समस्या दे सकती है। उत्तेजक पदार्थो के सेवन से बचना उत्तम है।

मिथुन लग्न में मारक ग्रह

  • सप्तम भाव का स्वामी - गुरु

  • दूसरा भाव का स्वामी - चंद्र

  • तीसरे भाव का स्वामी सूर्य

  • छठे और एकादश भाव का स्वामी - मंगल

मिथुन लग्न में शुभ – अशुभ ग्रह

मिथुन लग्न में शुभ ग्रह -: बुध ,शुक्र, शनि।

मिथुन लग्न में अशुभ ग्रह -: सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु।

मिथुन लग्न की मित्र राशि

तुला व कुम्भ राशि वाले इनके अच्छे मित्र होते हैं।

उदाहरण -:

जन्म दिनांक -: 8 दिसंबर 1988

जन्म समय -: 8 बजे शाम

जन्म स्थान -:बुलंदशहर।

यह जातिका स्वभाव से विद्या प्रेमी है। यह दांतों की डॉ.है। तीव्रबुद्धि है। कई भाषाओं की जानकार है।शायरी का शौक है।बातों की धनी है। तर्क में चतुर है।दूसरों पर अपना प्रभाव छोड़ने वाली, परिवर्तन पसंद ,संगीत,नृत्य में रुचि रखने वाली, बिना रुके बिना थके कार्य करने वाली है।

लकीर की फ़क़ीर नही अपनी राह खुद बनाने वाली है। परंतु आत्मविश्वाश की कमी के कारण ये चिंताग्रस्त रहती है।


विपरीत लिंग की तरफ इनका विशेष आकर्षण है।इसमें सज्जनता और दुर्जनता दोनों का समागम है।इसे विपरीत परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालना आता है। दांव-पेंच आते हैं।यह किसी के भी सामने खुलकर नही आती। विरोधियों का दमन पीछे रहकर ही करती है।कोई भी कार्य अकेले नही करती अपने किसी भी साथी की मदद जरूर लेती है।

ये सौन्दर्य उपासक है एवं फैशन प्रिय है। परिस्तिथि के अनुसार स्वयं को बदलना इनकी विशेषता है।


लेखिका

जैन साध्वी उग्रतपस्विनी संकट मोचीनी श्री चंदना(बिल्लो)जी महाराज की सुशिष्या प्रवचन प्रभाविका मधुर व्याख्यानि श्री भावना जी महाराज (डबल एम.ए.)

इस लेख से सम्बंधित जो भी प्रश्न आपके मन में हो कृपया comment section में लिखें | हमारे Youtube चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें |



Featured Posts
Recent Posts
Archive
Search By Tags
Follow Us
  • Facebook Basic Square
  • Twitter Basic Square
  • Google+ Basic Square
bottom of page