अच्छे गुण मिलने के बाद भी तलाक क्यों ?
विवाह और ज्योतिष भाग 2
कल फ़ोन आया बैंगलोर से दूसरी ओर से एक बुजुर्ग व्यक्ति की आवाज़ थी| वह अपनी पुत्री की कुंडली दिखाना चाहते थे| बातों बातों में उन्होंने कहा की
कश्यप जी, हमने अपने बच्चो की शादी कुंडली मिलाकर की थी परन्तु उसके उपरान्त भी एक का तलाक हो गया और दुसरे का भी वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है | समझ नहीं आ रहा हमने क्या कर्म किए है की ऐसा समय क्यों देखना पड़ रहा है |
कई बार ऐसे में लोगो का विश्वास ज्योतिष पर से उठ जाता है| ऐसे स्थिति में इस लेख की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है| आइये जानने का प्रयास करें की ऐसा क्यों होता है|
कुंडली मिलान बनाम गुण मिलान
आजकल प्रचलन है यदि आप ज्योतिषी के पास भावी दूल्हा और दुल्हन की कुंडली मिलवाने जाएँ तो वह अष्टकूट मिलान (जिसे आम भाषा में 36 गुण मिलान भी कहते है) और मांगलिक दोष के आधार पर रिश्ते को हाँ या मना कर देते है | आज कल तो ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध है, जिसके द्वारा जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान नहीं है वह भी कंप्यूटर पर खुद ही कुंडली मिलान कर लेते है|
इस से बड़ा परिहास का विषय कुछ और हो ही नहीं सकता है| यह कुछ ऐसा ही है जैसे कश्मीर का मौसम देखकर पूरे भारत को ठंडा देश कह देना | अष्टकूट मिलान, कुंडली मिलान का एक छोटा सा भाग है जिसका प्रभाव बहुत ज्यादा कुंडली मिलान पर नहीं पड़ता है| जो लोग ज्योतिष के विषय में ज्ञान रखते है उन्हें पता है की अष्टकूट मिलान केवल चंद्रमा के नक्षत्र और राशि गत स्थिति पर ही निर्भर करता है| ऐसी स्थिति में बाकी 8 ग्रहों को नज़रअंदाज कर केवल एक ग्रह के आधार पर रिश्ते को हाँ या ना करना बड़ी भारी मूर्खता है| आदर्श रूप से कुंडली मिलान के समय निम्नलिखित बातो का अवश्य विचार करना चाहिए |
दोनों का मानसिक स्तर – लग्न और चन्द्र आधार पर
दोनों के चरित्र का मापन – सप्तम और सप्तमेश के आधार पर
आयु विचार – अष्टम भाव के द्वारा
शारीरिक संबंधो में अनुकूलता – द्वादश भाव के द्वारा
अष्टकूट मिलान – मानसिक स्थिति का तालमेल
दोनों के अवगुण – दोष मिलान द्वारा
इन सभी का विचार करने के उपरान्त ही किसी रिश्ते को मंजूरी देनी चाहिए| कई बार कम गुण मिलान पर भी हम रिश्ते के लिए हामी भर देते है और कई बार 28 गुण मिलने पर भी रिश्ते के लिए मना करना पड़ता है| आइये अब इन छह बिन्दुओ पर विचार करते है |
दोनों का मानसिक स्तर – लग्न और चन्द्र आधार पर
व्यक्ति का स्वभाव किसी भी रिश्ते का निर्वहन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय है| यदि आप क्रोधी और हठी स्वभाव के है और दुसरे के विचारों को तवज्जो नहीं देते है तो उस स्थिति में आपके साथी का परेशान होना और छोड़कर जाना स्वाभाविक है | और कहीं ऐसे में साथी भी स्वाभिमानी हो तो परेशानी और अधिक होती है| इस स्थिति में एक किस्सा याद आया, एक बार ज्योतिष की कक्षा में एक विद्यार्थी ने प्रश्न किया की सर यदि मेष लग्न के व्यक्ति की सिंह लग्न के व्यक्ति से विवाह किया जाए तो क्या होगा?
...............शेष भाग अगले अंक में
कृपया वह लोग जिनका विवाह कुंडली मिलाकर हुआ हो और उसके बाद भी वैवाहिक जीवन सुखमय न हो अपनी कुंडली इस फोरम पर भेजे| लेखक से संपर्क करने के लिए क्लिक करें | पूरा लेख पढने के लिए Join करना न भूलें | आपको यह लेख कैसा लगा इस बारे में अपनी राय अवश्य दें |
Comments