top of page

प्रेम सम्बन्ध और ज्योतिष

जीवन और मृत्यु के बीच घटित होने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जिसे प्रेम कहते हैं।

जिस प्रकार ईश्वर की व्याख्या नही की जा सकती उसी क्रम मे प्रेम की कोई निश्चित परिभाषा नही है।

तो आखिर प्रेम है क्या??

प्रेम दो आत्माओं का मिलन है ना कि दो शरीर का मिलन दो शरीरों का मिलन सिर्फ वासना हो सकता है प्रेम नहीं

उससे भी महत्वपूर्ण प्रश्न हो सकता है कि प्रेम क्यों होता है??

प्रेम सम्बन्ध और ज्योतिष

एक गहन शोध ने यह बताया कि डोपामिन नामक रसायन किसी जीव को प्रेम की तरफ दौड़ा देता है

विज्ञान से अलग और दार्शनिक स्तर पर इसे समझा जाये तो प्रेम किसी भी जीव के भीतर बसे दिव्य अंश का उभार है

सरल शब्दों मे कहें तो प्रेम जीव को दिव्यता प्रदान करने वाला स्रोत है।

प्रेम प्रसंग के विभिन्न योग।

  • जन्म कुंडली में पंचमेश,सप्तमेश एवं शुक्र का शुभ संयोग हो तो जातक घनिष्ठ प्रेम संबंध बनाता है ऐसी ग्रह स्थिति में प्रेम विवाह ही संभव है|

  • शुक्र और सप्तमेश की युति पंचम भाव या एकादश भाव में हो तो जातक का प्रेम विवाह होता है|

  • पंचमेश ,लग्नेश की युति सप्तम भाव में हो तो जातक प्रेम करता है|

  • मंगल व शुक्र की युति हो और ऊपर शुभ ग्रह की दृष्टि तो प्रेम विवाह का परिचायक है|

  • शुक्र और चंद्र की युति पंचम भाव या सप्तम भाव में हो तो जातक पूर्ण रूप से प्रेम करता है|

  • सप्तमेश शुभ ग्रह हो और शुक्र की युति या दृष्टि हो तो जातक प्रेम विवाह करता है|

  • सप्तमेश शुभ ग्रह हो और शुक्र की युति या दृष्टि हो तो जातक प्रेम विवाह करता है|

  • लग्नेश ,पंचमेश, व नवमेश में सम्बन्ध बनता है तब भी प्रेम विवाह होता है|

  • सप्तमेश व एकादश की युति हो अथवा पंचमेश ,नवमेश की युति हो तो जातक प्रेम प्रसंग में होता है|

  • चंद्र व लग्नेश की युति लग्न या पंचम भाव में हो तो जातक का प्रेम विवाह करता है|

  • शुक्र ,चंद्र का पंचमेश ,सप्तमेश पर शुभ प्रभाव हो या गुरु से दृष्टि हो तो जातक प्रेम करता है और प्रेम प्रसंग में सफल होता है|

  • चन्द्रमा का सप्तम व सप्तमेश के साथ हो अथवा शुक्र का लग्न या लग्नेश पर प्रभाव हो तो जातक अपने पसंद की जीवन साथी से विवाह करता है इन्हीं योग में यदि मंगल का प्रभाव हो या मंगल पंचम या पंचमेश से युति हो तो जातक अमर्यादित प्रेम करता है|

  • पंचमेश ,सप्तमेश के साथ यदि मंगल हो तब भी जातक प्रेम करता है|

  • सप्तमेश तथा पंचमेश के मध्य राशि परिवर्तन हो अथवा एक दूसरे से सप्तम में बैठे हो तो जातक हृदय से प्रेम करता है|

लेखक :- श्री गिरीश राजोरिया जी

जिला भिंड, मध्य प्रदेश

Mob.7509930140

(ज्योतिष पर हिंदी में विडियो देखने के लिए Youtube पर क्लिक करें| Facebook पर जुड़ने के लिए फेसबुक पर क्लिक कें करें| ज्योतिषीय सलाह के लिए क्लिक करें |

Comments


Featured Posts
Recent Posts
Archive
Search By Tags
Follow Us
  • Facebook Basic Square
  • Twitter Basic Square
  • Google+ Basic Square

For free Astrology updates

& Astro quiz invitation

  • Facebook Astro Life Sutras
  • YouTube Social  Icon
  • Twitter Social Icon
  • Google+ Social Icon

Call

T: 91-9821820026

    91-9999486218 

© Copyright Astro Life Sutras
bottom of page