नमस्कार नीतिंजी
किसिका षष्टेश मंगल (वृश्चिक लग्न )
उच्च परंतु पूर्णस्त, तीसरे भाव में
द्वित्येष उच्च बृहस्पति से दृष्ट और
मंगल की ही महादशा चल रही हो ।
क्या उसको ऋण लेना चाहिए ?
ऋण का कारक मंगल
उच्च भी है,
अस्त भी है,
लग्नेश भी है और षष्टेश भी हैं,
शुभ ग्रह बृहस्पति (परंतु वक्री) जो की धनेश भी है से दृष्ट भी है समझ नहीं आता कैसा फल देगा ?