आदरणीय नितिन जी सुप्रभात। बहुत समय से आपके विडियो देख रहा हूं तथा उनसे नयी जानकारियां भी प्राप्त होती रहती है जिसके लिए धन्यवाद।एक जिज्ञासा यह है कि कालपुरूष की कुंडली में यदि गुरु शुक्र पंचम में युति करे तो शुक्र दोनों मारक स्थान का स्वामी है तथा गुरु पर कारक भाव नाशाय का नियम लागू होता है अतः क्या दोनो मिलकर जातक को हानि कर सकते हैं? मैंने चार पांच कुंडलियों में शुक्र व गुरु युति देखी है तथा यह पाया है कि जीवन में एक बार जातक की पैर की सर्जरी अवश्य होती है। आपके महत्वपूर्ण विचारों से लाभान्वित होने के लिए यह पोस्ट कर रहा हूं।🙏
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