Tula Lagna mein shukra aur buddha 12th bhav mein ho aur un par vakri shani (3rd bhav) ki drishti ho. To aise mein lagnesh shukra ko kaise dekhein? Shani shukra ke nakshtra mein hai, buddha surya(jo 11th bhav mein hai) ke nakshtra mein aur shukra chandrama (jo 10th bhav mein hai) ke nakshtra mein. Aise mein yahan shukra ke kya acche aur bure results honge? aur shukra ko bali karne ke kya upaya hain.
Dhanywaad.
जय श्री राम लक्ष्य जी। आपने एक सही बात कही। चंद्र और सूर्य कुंडली से तो मेरा शुक्र अकारक़ हुआ। मेरा नवामश मकर लगन का है । जहां तक दशा की बात है , मेरा जन्म बुद्ध की महादशा में हुआ था। स्वास्थ्य ख़राब रहता था पर पढ़ाई के लिए काफ़ी अच्छा समय था। मेरी मंगल की दशा अच्छी नहीं रहती। कुल मिला के मेरा अनुभव यही कह रहा है की लग्न कुंडली ही ज़्यादा प्रबल है। फ़िलहाल अभी शुक्र में गुरु की दशा चल रही है और ४ महीने पहले मैं विदेश में फिर से पढ़ने गया। लगन कुंडली से मेरा नवमेश बुद्ध १२वें भाव में है। उसी तरह चंद्र कुंडली से भी मेरा नवमेष गुरु १२वें भाव में है 😅
जैसा आपने बताया , जब मैं भारत में होता हूँ तो गौ सेवा ज़रूर करता हूँ। महिलाओं के साथ मेरे सम्बंध प्रायः अच्छे नहीं रहे हैं पर मैं कोशिश यही करता हूँ की किसी का दिल ना दिखाऊँ।
जय श्री राम🙏🙏 लग्नेश् का नीच होना अच्छा है नही होता और उपर से वह 12वे भाव मे है, परंतु इस शुक्र का नीच भंग भी हो रहा है, बुध उसके साथ बैठे है, उच्च के होकर ।इसका मतलब है आपको पूरी उमर जो भी परेशानियाँ आयेंगी उनसे बाहर निकालने मे विशेषकर आपके गुरुओं और आपके पिता का विशेष हाथ होगा। शनि की दृष्टि भी आपको सहायता पहुॅचायेगी और अपने पराक्रम , बुद्धि की सहायता से परेशानियों का हल करेंगे। शनि चौथे भाव के स्वामी भी है अगर शनि गुरु के साथ तत्कालिक मैत्री मे है तो आपको आपकी माता का भी सहयोग मिलेगा। आपको नीच शुक्र की वजह से परेशानियों का सामना तो जरूर करना होगा। सेहत के मामले मे ये परेशानी दिखाता है। शनि वक्री है तो आप पराक्रम तो करेंगे लेकिन ये शनि आपके जीवन मे उठा- पटक लादेगा।