जय श्री राम गुरु जी मेरा प्रश्न है कि मान लीजिए,
1.पहला परिदृश्य में किसी के लग्न करो शुभ ग्रह शुक्र , गुरु, पूर्णिमा का चंद्रमा, और बुध जैसे ग्रह की दृष्टि हो परंतु उसके लग्नेश पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो ।
2.और दूसरे परिदृश्य में किसी के लग्न पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो परंतु शुभ ग्रहों की दृष्टि उसके लग्नेश पर हो। तो इन दोनों की फलित में क्या अंतर होगा। कृपया मेरे सवाल का जवाब दें और ज्ञान वर्धन करे 🙏🙏🌸🌸
लक्ष जी लग्न पर अगर शुभ दृष्टि पड़ेगी तो वो जातक को मन वचन कर्म सबसे मजबूत बनायेगी, और अगर lagnesh मजबूत होगा तो जातक का शरीर सौष्टभ से मजबूत होगा।
मतलब पहले वाले केस में "संपूर्ण मजबूती- वाह्य awam आंतरिक, दूसरे में बाहरी केवल 🙏😊