गुरुजी एक कुंडली मेष लग्न की है (समय- 03:07 शाम, दिन -28/11/1999 और जगह-कटिहार ,बिहार-854105) , इसमें गुरु लग्न में ,दशम में दिग्बलि मंगल, स्वागृही चंद्र तीनो ग्रह अच्छे हैं लेकिन जब इनकी युति देखे तो गुरु+शनि, मंगल+केतु,चंद्रमा+राहु और सूर्य अष्टम तो क्या फल फलित होगी ?और कब भाग्यउदय होगी?
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रुद्राक्ष सलाह?
जी हनुमान चालीसा और दुर्गा सप्तसती पाठ रोज़ करता हूँ दुर्गा कवच के साथ🙏🏻
मै रत्न की सलाह तो दूंगा नही लेकिन आप मंगल का उपाय करो जैसे हनुमान जी की आराधना, हनुमान चालीसा का पाठ, अपनी कभी कोई काम जल्दबाज़ी और गुस्से में मत करना क्युकी मंगल की केतु के साथ युति है और केतु बिना सोचे समझे जल्दबाज़ी में काम करने कारण गलती करायेगा। कुत्ते को खाना खिलाये।चने, गुड का खुद सेवन करे।
Apke chart main Guru maharaj or Shani dev ki yuti nhi hai. Kyu ki agar dono ki degree ko dekhenge to kaffi jyada anter hai dono main.
meri puri Kundli dekhne ke baad ratna salaah ?
🙏🏻 Kis warsh bhagya Uday hoga ? Agar jaatak sarkari chhetra me hai to
चौथा भाव चौथे भाव का स्वामी और माता का कारक चंद्रमा तीनों बहुत पीड़ित है इसका मतलब यह माता के लिए बहुत कष्ट देने वाला योग बन रहा है। मंगल और केतु में ज्यादा अंतर नहीं है ,और मंगल केतु के पीछे है डिग्री में तो जातक में प्रतिभा होते हुए भी वह सफलता हासिल करने में नाकामयाब रहेगा। शनि का लग्न में जाकर बैठना कार्य थोड़ी विलंभ से करवाएगा। शनि का नीच होने का ज्यादा बुरा परिणाम नहीं मिलेगा क्योंकि वह एक शुभ ग्रह के साथ बैठा है और लग्नेश के साथ परिवर्तन योग बना रहा है इसलिए जातक कर्मठ होगा ,मेहनती होगा। अगर वह केतु जिस नक्षत्र में बैठा है उससे संबंधित काम करे तो उससे ज्यादा फायदा होगा। नवमेश गुरु के लग्न में जाकर बैठने की वजह से जातक को हमेशा भाग्य का साथ जरूर मिलेगा। शुरुआत में थोड़ी परेशानी आने के बाद भाग्योदय होने के आसार है। लग्न मे 2 मंदगामी गृह और उपर से भागयेष् पर भी मंदगामी गृह का असर है तो देर से भाग्योदय होगा ,लग्नेश् को भी शनि देख रहा है । शनि और गुरु दोनो वक्री है तो व्यक्ति कभी हार नही मानेगा और उसके जीवन मे बहुत उतार चढ़ाव होंगे। सूर्य अष्टम मे ज्यादा नुक्सान नही करेगा रिसर्च के क्षेत्र मे उन्नति के योग है।