जय श्री राम🙏🙏, निर्भर करता है कौनसे लग्न की बात हो रही है , जिसमे षष्ठेश् लग्न मे जाके बैठे है । और लग्नेश् की राशि पर निर्भर करता है कौनसी राशि मे है। जैसे - दोनो परिस्थितियों मे दो संभावना होंगी
1.लग्नेश् का षष्ठ मे जाना-i) जब शुक्र तुला या वृषभ लग्न मे षष्ठ भाव मे जायेंगे तो उच्च या स्वराशि के होंगे ऐसी स्तिथि मे जातक बीमार नही मेहनती बनता है, उसे शारीरिक मेहनत पसंद होती है, खासकर वृश्चिक लग्न मे मंगल षष्ठ मे जाने पर।
ii)परंतु अगर मेष लग्न मंगल अगर छट्ठे भाव मे जायेंगे तो वो शत्रु क्षेत्र मे जायेंगे ऐसे जातक को त्वचा जन्य रोग हो सकते है। अगर ऐसी स्तिथि मे लग्न पर अच्छे गृहों की दृष्टि हो तो ऐसे जातक को जन्म से तो अच्छी सेहत मिली थी पर परिस्थायों वजह से वह बीमार होंगे।
2.षष्ठेश् का लग्न मे जाना- i)गुरु कर्क लग्न मे जाकर उच्च के होजायेंगे तो यह बुरा नही अच्छा होगा ऐसे जातक की सेहत अच्छी रहेगी ,भाग्य का साथ मिलेगा।
ii)परंतु यही अगर तुला लग्न की बात करें तो गुरु षष्ठेश् बन कर अपनी शत्रु राशि तुला मे होंगे तो वह रोग देंगे,ऐसी स्तिथि मे जातक को जन्म से ही सेहत मे परेशानी की आ सकती है।
गृह के स्वभाव पर भी काफी निर्भर करता है की वह रोग किस तरह के और कितने ज्यादा serious देंगे जैसे गुरु सौम्य गृह तो वह थोड़ी कम कठोरता के साथ रोग देंगे परंतु शनि जैसे गृह के सिंह लग्न मे कठोरता के साथ रोग देंगे और अगर ऐसे शनि के साथ राहु भी संबंध बना ले तो यह दीर्घकालिक रोग दे सकते है। 🙏🙏
जय श्री राम🙏🙏, निर्भर करता है कौनसे लग्न की बात हो रही है , जिसमे षष्ठेश् लग्न मे जाके बैठे है । और लग्नेश् की राशि पर निर्भर करता है कौनसी राशि मे है। जैसे - दोनो परिस्थितियों मे दो संभावना होंगी
1.लग्नेश् का षष्ठ मे जाना-i) जब शुक्र तुला या वृषभ लग्न मे षष्ठ भाव मे जायेंगे तो उच्च या स्वराशि के होंगे ऐसी स्तिथि मे जातक बीमार नही मेहनती बनता है, उसे शारीरिक मेहनत पसंद होती है, खासकर वृश्चिक लग्न मे मंगल षष्ठ मे जाने पर।
ii)परंतु अगर मेष लग्न मंगल अगर छट्ठे भाव मे जायेंगे तो वो शत्रु क्षेत्र मे जायेंगे ऐसे जातक को त्वचा जन्य रोग हो सकते है। अगर ऐसी स्तिथि मे लग्न पर अच्छे गृहों की दृष्टि हो तो ऐसे जातक को जन्म से तो अच्छी सेहत मिली थी पर परिस्थायों वजह से वह बीमार होंगे।
2.षष्ठेश् का लग्न मे जाना- i)गुरु कर्क लग्न मे जाकर उच्च के होजायेंगे तो यह बुरा नही अच्छा होगा ऐसे जातक की सेहत अच्छी रहेगी ,भाग्य का साथ मिलेगा।
ii)परंतु यही अगर तुला लग्न की बात करें तो गुरु षष्ठेश् बन कर अपनी शत्रु राशि तुला मे होंगे तो वह रोग देंगे,ऐसी स्तिथि मे जातक को जन्म से ही सेहत मे परेशानी की आ सकती है।
गृह के स्वभाव पर भी काफी निर्भर करता है की वह रोग किस तरह के और कितने ज्यादा serious देंगे जैसे गुरु सौम्य गृह तो वह थोड़ी कम कठोरता के साथ रोग देंगे परंतु शनि जैसे गृह के सिंह लग्न मे कठोरता के साथ रोग देंगे और अगर ऐसे शनि के साथ राहु भी संबंध बना ले तो यह दीर्घकालिक रोग दे सकते है। 🙏🙏