कृपया अरगला के फलित पर अपनी टिप्पणी दे यह विषय बृहत पराशर होरा शास्त्र में दिया गया है। इसमें बताया गया है कि अगर किसी भी भाव से दूसरे भाव में, चौथे भाव में, ग्यारहवें भाव में कोई ग्रह स्थित हो तो वह अर्गला बनाता है और इससे उस भाव के फल बढ़ते हैं। और दूसरे भाव की अर्गला को बारहवें भाव में बैठा ग्रह खत्म करता है, चौथे भाव में बैठे ग्रह की अर्गला को दसवें भाव में बैठा ग्रह कम करता है, और ग्यारहवें भाव में बैठे ग्रह की अर्गला को तीसरे भाव में बैठा ग्रह कम करता है। जितने ज्यादा ग्रह है दूसरे भाव में, चौथे भाव में या 11 वे भाव में बैठकर अर्गला बनाएगे उसका इतना ही असर होगा। और तीसरे भाव में अगर 3 या 3 से अधिक अशुभ ग्रह है युति बनाएं तो इसे विपरीत अर्गला कहते हैं और यह भी बहुत लाभ देती है। कृपया इस विषय पर आपका क्या अनुभव है जरूर बताएं और इसे कैसे फल मिलते है और शुभ गृह की अरगला और क्रूर गृह की अरगला मे का अंतर है। अर्गला को किसी भी भाव से देखा जा सकता है।
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