तुला लग्न में वक्री शनि 3rd भाव में, राहु 5th में, गुरु 9th में और सूर्य, मंगल और केतु 11th में. 5th भाव पे इतने सारे ग्रहों का प्रेम संबंधों पर प्रभाव कैसे देखा जाये?
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जय श्री राम 🙏🙏, पंचम पर इतने गृहों के प्रभाव का मतलब है आपकी बुद्धि पर बहुत सारी चीजों का प्रभाव होगा आपकी बहुत सारी चीजों मे रुचि होगी, राहु का प्रभाव पंचम पे आपको बहुत ज्यादा बुद्धिमान बनायेगा। राहु बहुत सोचने वाला गृह है और उनका परस्पर दृष्टि संबंध गुरु के साथ बन रहा, और ऊपर से राहु वायु तत्व राशि में है और ज्ञान के कारक गुरु भी वायु तत्व राशि मे है।यह आपको बहुत अच्छा बनायेगा communication मे,intellectual बनायेगा,पंचमेश् भी तृत्य भाव मे है जो की commumnication का भाव है यह बहुत अच्छी वाक क्षमता दिखाता है, शनि और गुरु का परस्पर संबंध आपको धार्मिक बनायेगा और यह धार्मिक उन्नति के लिए बहुत अच्छा है । यह गुरु शनि का संबंध जातक को न्यायप्रिय भी बनाता है क्युकी शनि न्याय का कारक है और गुरु ज्ञान है,ऐसी स्तिथि आपको law मे भी रुचि दे सकती है क्युकी गुरु षष्ठेश् है और शनि न्याय का कारक है,सूर्य भी राजा है वह भी ऐसी संभावना देते है। गुरु,मंगल, शनि, सूर्य,राहु के संबंध की वजह से आपको मेडिकल फील्ड मे भी रुचि हो सकती है।मंगल भूमि कारक है और शनि चतुर्थेश है ऐसी स्तिथि civil engineering हो सकती है पर इसकी थोडी कम संभावना है क्युकी आपके लग्न पर गुरु का प्रभाव है और गुरु थोड़े अध्यात्मिक विषयों मे थोड़ी ज्यादा रुचि देगा ,आप की बौधिक क्षमता बहुत अच्छी होगी। 🙏🙏