जय श्री राम - गुरुवर - आपसे जो मार्गदर्शन मिला उसका ज्यादा से ज्यादा सही और सचोट उपयोग हो इस तरह की कोशिश हमारी होती है - सवाल यह था की - कन्या लग्नमे (बुध पूर्ण अस्त एवं नीच) मे भाग्येश शुक्र 8वे भावमे शत्रु राशि मेष मे लग्न की डिग्री के समीप होना - किसिभी नीच या पापी ग्रह की द्रष्टी मे ना होना और क्रूर नवांश मे (4थे भावमे सिंह राशिमे ) शुक्र का होना भाग्य को हानी देगा ? - क्या उसका राशि परिवर्तन 9वे वृषभ राशि मे राहू शनि के साथ बैठे मंगल के साथ भाग्य को बढ़ा सकता है ?
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