बुध और शनि - नपुंसक ग्रह
- Pt.Girish Rajouriya (Dist.Bhind, MP)
- Mar 29, 2019
- 3 min read

आज हम ऐसे दो ग्रहो के बारे मैं बात करते हैं जिन्हें नपुसंक की श्रेणी में रखे गए हैं वह दो ग्रह है बुध और शनि है इस लेख में हम जानेंगे ये किस प्रकार के नपुसंक है|
सबसे पहले हम बुध पर चर्चा करते है बुध एक राजकुमार ग्रह है एक राजा का पुत्र होकर भी नपुसंक!!! बुध ग्रह से ही पुरुवंश हुआ जिसमे राजा पुरु और भरत जैसे महान राजा हुए भरत राजा से ही भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है इसी पुरुवंश में अर्जुन जैसे वीर हुआ जिस वंश में बड़े बड़े वीर ने जन्म लिया है| वह बुध नपुंसक कैसा?

बुध ग्रह शारिरिक नपुसंक नही है, वह मानसिक नपुसंक है उसके अंदर जो प्रतिभा की ऊर्जा है, वह समाज के सामने प्रदर्शन करने में परेशानी आती है जैसे महाभारत में युद्ध के समय महावीर अर्जुन एक नपुसंक की तरह कृष्ण भगवान के सामने युद्ध करने से मना कर देता है ओर अपना गांडीव धनुष को अलग रख देता है और एक तरफ सिर झुकाकर बैठ जाता है|

बुध ग्रह के अंदर अपार शक्ति या प्रतिभा होते हुए भी उसका लाभ नहीं ले पाता है, जब वह कोई कार्य करने चलता है तो वह अनेक नकारात्मक विचारों को पहले सोचता है ऐसी स्थिति में बुध कमजोर या बलहीन होकर किसी जातक की कुंडली मे हो तो ऐसे व्यक्ति को परिवार वा समाज वाले ,मित्रगण उस जातक को सकारात्मक प्रेरणा (Motivation) देना चाहिए उस जातक को सदैव हिम्मत देते रहना चाहिए जिससे वह अपनी प्रतिभा दिखा सके ओर अपने ज्ञान तथा प्रतिभा को समाज को उसका लाभ मिल सके।
अब हम शनि ग्रह के बारे में चर्चा करते हैं तो शनि सूर्य का पुत्र बड़ा बलशाली ग्रह है उसके अंदर नपुसंकता का गुण वह गुण उसके उदासीनता और वृद्ध होने के कारण है| शनि ग्रह सबसे अधिक उदासीन है उसके अंदर संसार का मोह माया नही है| शनि ग्रह की नपुंसकता को एक कथा के माध्यम से समझते है एक बार शनि भगवान कृष्ण के ध्यान में बैठा था उसी समय शनि की पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुचीं पर शनि श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे। इन्हें बाह्य जगत की कोई सुधि ही नहीं थी। पत्नी प्रतीक्षा कर थक गईं तब क्रोधित हो उसने इन्हें शाप दे दिया कि तुम नपुसंक की भांति से बैठे हो तुम जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा।शनि ग्रह में प्रतिभा अधिक होते हुए भी वह अपने प्रतिभा को समाज के सामने नही दिखता है|

वह जातक के अंदर उदासीनता होने के कारण थोड़े से ही सुख में संतुष्ट हो जाता है आपने देखा होगा कि शनि के प्रभाव वाले जातक के अंदर अधिक प्रतिभा होते हुए भी वह उस प्रतिभा का थोड़ा सा मूल्य लेकर भी संतुष्ट रहते हैं जबकि उनको उस प्रतिभा का चार गुना अधिक मूल्य मिल सकता है फिर भी वह अधिक मूल्य के लिए परेशान नही होते और कम मूल्य में ही संतुष्ट रहते है| दूसरी बात यह भी है शनि वृद्ध ग्रह है जिसके अंदर न अधिक साहस है और न अधिक पराक्रम भी नहीं है इस कारण शनि ग्रह के प्रभाव वाले जातक अपने प्रतिभा को अपनी कमजोरी के करण दिखा भी नही पाते है|
अगले अंक में जानेंगे कैसे पीड़ित शनि बुध कुंडली में परेशानी का कारण बनता है|
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