what are the results when 3 planets are vargottam and 3 planets in pushkar navamsa i found a cancer ascendent chart in which jupiter moon venus were vargottam and rahu ketu and sun were in pushkar navamsa ???
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जय श्री राम 🙏🙏🌸🌸पुष्कर नवांश किसी भी ग्रह के कारककत्व का पालन पोषण करते हैं । सूर्य वर्गोत्तम नवांश में नवांश में होने के कारण उस व्यक्ति में सात्विक गुण बढ़ेंगे। सूर्य हमारी आत्मा का कारक होता है इसका मतलब आत्मा के पालन पोषण से वह व्यक्ति योग साधना आसानी से कर पाएगा। सूर्य सिद्धांतों का भी कारक है, इसलिए वह व्यक्ति सिद्धांत वादी भी होगा। राहु के पुष्कर नवमांश में होने की वजह से वह व्यक्ति भौतिक सुखों में भी आगे बढ़ पाएगा। वर्गोत्तम ग्रह का बल भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। लग्नेश चंद्रमा के वर्गोत्तम होने की वजह से व्यक्ति की सेहत अच्छी रहेगी, और वह जिंदगी में सफलता भी हासिल कर पाएगा। शुक्र भी कर्क लग्न में चौथे भाव और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं इसलिए वह उस व्यक्ति को सारे भौतिक सुख देंगे। गुरु भी कर्क लग्न में भाग्य भाव के स्वामी है इसलिए इस व्यक्ति को हमेशा भाग्य का भी साथ मिलेगा बस आप ही हूं देख लीजिए की गुरु नवे भाव से ज्यादा अच्छे घर में है या छठे भाव से ज्यादा अच्छे घर में है। वर्गोत्तम ग्रह अगर शुभ ग्रहों की राशियों में और शुभ ग्रह हो के नवांश में बैठी हों, तो है अपनी महादशा अंतर्दशा में अत्यधिक अच्छे परिणाम देते हैं ।ऐसा फलदीपिका में भी बताया गया है। धन्यवाद
जय श्री राम🙏🙏 इस कुंडली में नवम भाव के स्वामी दशम भाव में अपने मित्र मंगल की राशि में वर्गोत्तम होकर बैठे हैं यह भाग्य के लिए अच्छा है परंतु शनि के दशम भाव में नीच का होकर बैठने की वजह से इस गुरु के अच्छे प्रभाव में थोड़ी कमी आएगी। ऐसा भी हो सकता है कि शादी के बाद इस जातक को कार्यक्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़े क्योंकि सप्तमेश नीच के होकर दशम भाव में बैठे हैं। गुरु से छठे भाव के स्वामी और नवम भाव के स्वामी दोनों भागों के स्वामी हैं इसलिए वह दोनों ही भावों के फल देंगे, इसलिए ऐसा हो सकता है। इस व्यक्ति को भाग्य का साथ मिलने से पहले थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़े क्योंकि छठा भाव परेशानियों का और संघर्षों का भाव है। लेकिन गुरु नवम पति होने का प्रभाव तो देंगे ही। बस यूं ही की गुरु छठे भाव से पंचम में जाकर बैठे हैं और ऊपर से छठे भाव में उनकी मूल त्रिकोण राशि पड़ती है इसलिए वह छठे भाव का फल थोड़ा ज्यादा देंगे परंतु यह भी ज्यादा बुरा नहीं है क्योंकि छठा भाव और दशम भाव दोनों उपचय भाव है।